सौरव गांगुली भारतीय क्रिकेट का वह सितारा जिसने अपनी शानदार बल्लेबाज से न केवल फैंस का दिल जीता. बल्कि अपनी कप्तानी के दम पर टीम इंडिया को सफल टीम की श्रेणी में भी ला खड़ा किया.
प्रिंस ऑफ कोलकाता के नाम से मशहूर सौरव गांगुली को टीम में दादा के नाम से जाना जाता है. गांगुली 1992 से 2008 तक भारतीय टीम का हिस्सा रहें. इस दौरान उन्होने 100 से अधिक टेस्ट और 300 से अधिक वनडे मैच खेले.
गांगुली 2000 से 2005 तक टीम इंडिया के कप्तान भी रहें. उनके नेतृत्व में टीम ने 49 टेस्ट में 27 और 146 वनडे में 76 में जीत हासिल की. 2005 में गांगुली को अचानक कप्तानी से इस्तीफा देना पड़ा. और दादा की कप्तानी का सिलसिला यहीं रूक गया. जानिये क्यूं ?
भारत के सफलतम कप्तानो में शुमार रहें गांगुली के करियर के लिए टर्निग प्वांइट साबित हुई 2005 की भारत पाकिस्तान वनडे सीरीज़ जिसके बाद उनकी कप्तानी को लेकर सवाल उठाये जाने लगे. इस सीरीज़ में भारतीय टीम को 4-2 से हार का सामना करना पड़ा. जिसके कुछ दिन बाद गांगुली को दोनो फॉर्मेट की कप्तानी से इस्तीफा देना पड़ा.
पाकिस्तान टीम की 4-2 से जीत का सेहरा कप्तान इंजमाम उल हक के सिर बंधा. उस समय पाक टीम के कप्तान इंजमाम उल हक थे. इंजमाम ने न केवल शानदार कप्तानी की बल्कि कई मैच में अच्छी बल्लेबाजी भी की. टीम वनडे सीरीज़ हारी, तो गांगुली की कप्तानी पर सवाल उठे. इस सीरीज के बाद गांगुली पर स्लो ओवर रेट के लिए 6 मैच का बैन भी लगा दिया गया. इसके कुछ दिनों बाद उन्हें कप्तानी से भी हटा दिया गया.