जिम्बाब्वे एक समय काफी मजबूत टीम मानी जाती थी. ये बात 90 के दशक और 2000 के दशक के शुरुआती दौर की है. इस टीम के पास हीथ स्ट्रिक, एंडी फ्लावर जैसे खिलाड़ी हुआ करते थे लेकिन धीरे-धीरे इस टीम का पतन होने लगा और 2010 के आते-आते ये टीम बेहद कमजोर मानी जाने लगी. लेकिन कहते हैं कि क्रिकेट अनिश्चित्ताओं का खेल है और यहां कुछ भी हो सकता है. 2013 में 14 सितंबर को जिम्बाब्वे ने ऐसा कुछ कर दिया था जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी.

जिम्बाब्वे ने अपने घर में खेले गए टेस्ट मैच में पाकिस्तान जैसी मजबूत टीम को पटक दिया था. उस पाकिस्तान टीम को जिसके पास मिस्बाह उल हक, सईद अजमल, अजहर अली जैसे खिलाड़ी थे. ये मैच खेला गया था हरारे में और 10 सितंबर से इसकी शुरुआत हुई थी.

ऐसी रही थी शुरुआत

उस मैच में जिम्बाब्वे के कप्तान ब्रेंडन टेलर ने टॉस जीतकर बल्लेबाजी चुनी थी. पहले बल्लेबाजी करते हुए जिम्बाब्वे की टीम 294 रन बनाने में सफल रही थी. उसके लिए हेमिल्टन मासाकाड्जा ने 75 रन बनाए थे. कप्तान टेलर ने 51 रनों की पारी खेली. बाकी कोई और बल्लेबाज अर्धशतक नहीं जमा सका. कई बल्लेबाजों ने अच्छी शुरुआत की लेकिन उसे लंबी पारी में नहीं बदल सके. पाकिस्तान की टीम पहली पारी में जिम्बाब्वे के स्कोर को भी पार नहीं कर पाई और 230 रनों पर ही ढेर हो गई. बाएं हाथ के तेज गेंदबाज ब्रायन विटोरी ने पांच विकेट लेकर पाकिस्तानी बल्लेबाजी की कमर तोड़ दी. पाकिस्तान के लिए सबसे ज्यादा 77 रन बनाए यूनिस खान ने. उनके अलावा खुर्रम मंजूर ने 51 रनों की पारी खेली.

जिम्बाब्वे दूसरी पारी में 64 रनों की बढ़त के साथ उतरी थी लेकिन इस बार वह ज्यादा बड़ा स्कोर नहीं कर पाई. मैच के चौथे दिन वह 199 रनों पर ऑल आउट हो गई. चौथे दिन पाकिस्तान ने बल्लेबाजी शुरू की और उसके सामने 264 रनों का लक्ष्य था. लेकिन पाकिस्तान की आधी टीम दिन का खेल खत्म होते-होते पवेलियन लौट चुकी थी. चौथे दिन का अंत पाकिस्तान ने पांच विकेट के नुकसान पर 158 रनों के साथ किया.

जिम्बाब्वे ने रचा इतिहास

अंतिम दिन पाकिस्तान को जीत के लिए 105 रनों की जरूरत थी और उसके हाथ में सिर्फ पांच विकेट थे. कप्तान मिस्बाह ने लड़ाई लड़ी लेकिन वह 79 रनों की नाबाद पारी खेलने के बाद भी टीम को हार से नहीं बचा सके.जिम्बाब्वे ने पाकिस्तान को 239 रनों पर आउट कर 24 रनों से मैच जीता और 2001 के बाद बांग्लादेश के अलावा किसी और देश के खिलाफ अपनी पहली टेस्ट जीत हासिल की. दूसरी पारी में जिम्बाब्वे के लिए टेंडई चतारा ने पांच विकेट लिए. 1992 में आने के बाद ये जिम्बाब्वे की 11वीं टेस्ट जीत थी.

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