टीम इंडिया के पूर्व तेज गेंदबाज मुनाफ पटेल ने कई वर्ष तक अपनी सेवाएं टीम को दी. मुनाफ ने बतौर तेज गेंदबाज कई उपलब्धियां हासिल की. मुनाफ पटेल ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 2006 में कदम रखा था. मुनाफ ड्रेसिंग रूम में बहुत कम बोलते थे, लेकिन मैदान में उनकी घातक बॉलिंग जमकर बोलती थी.
पूर्व तेज गेंदबाज मुनाफ गुजरात के भारुच जिले के इखार गांव से हैं. यहां पर गरीबी कोई नई बात नहीं है. बात उन दिनों की है जब मुनाफ 35 रुपए की दैनिक मजदूरी पर एक टाइल फैक्टरी में काम किया करते थे. मुनाफ के पिता भी दूसरों के खेतों में मेहनत-मजदूरी किया करते थे.
मुनाफ के परिवार के पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वो अपने लिए कपड़े सिलवा सकें. आर्थिक तंगी की वजह से साल में एक बार नए कपड़े सिलवाए जाते थे. एक रोज क्रिकेट खेलते हुए मुनाफ पटेल की मुलाकात वहीं गांव में रहने वाले युसुफ भाई से हुई.
युसूफ ने मुनाफ को जूते दिलवाने के साथ बडौदा क्रिकेट क्लब में भर्ती करवा दिया. वहां पहुंचकर मुनाफ ने खूब मेहनत की और रणजी क्रिकेट मैच के लिए चुन लिए गए. इसके बाद मुनाफ ने टीम इंडिया तक का सफर तय किया.
2011 विश्व कप में भारतीय टीम की ओर से तीसरे सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज मुनाफ पटेल साल 2013 तक आइपीएल में खेलते नजर आए. इसके बाद मुनाफ पटेल की अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी मुश्किल हो गई. कभी 35 रुपए कमाने वाले मुनाफ आज 10 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति के मालिक हैं