जय शाह कर रहे हैं टीम इंडिया के मुस्लिम प्लेयर्स को किनारे? - The Focus Hindi

जय शाह कर रहे हैं टीम इंडिया के मुस्लिम प्लेयर्स को किनारे?

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भारत एक कृषि प्रधान देश है. ऐसे मैंने स्कूल में पढ़ा था. जहां कृषि विज्ञान पढ़ना मैंडेटरी था. कक्षा आठ के बाद पता चला कि कृषि विज्ञान का डेली लाइफ में उतना ही रोल है जितना साइकॉलजी की स्पेलिंग में P का. ख़ैर. मेरा बचपन तो बीत गया, लेकिन T20 वर्ल्ड कप अभी आने वाला है. और इसके लिए टीम इंडिया का सेलेक्शन हो गया है.

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और इस सेलेक्शन के बाद से ही सोशल मीडिया पर हंगामा मचा हुआ है. तमाम तरह की बातें हो रही हैं. कुछ प्लेयर्स के टीम में होने पर सवाल हैं तो कुछ के ना होने पर. इन बहसों में तमाम ऐसे पॉइंट्स हैं जिन पर सही में विचार होना चाहिए. ये दिलचस्प होने के साथ सोचनीय भी हैं. लेकिन इस तमाम बहस में कुछ पॉइंट्स ऐसे हैं जिन्हें सिरे से नकार दिया जाना चाहिए.

और आज सिली पॉइंट में उन्हीं में से एक पॉइंट की चर्चा होगी. इस टीम को एक विशेष चश्मे से देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि इसमें एक भी मुस्लिम क्रिकेटर नहीं है. और इस पॉइंट की मानें तो केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बेटे, जय शाह के BCCI सेक्रेटरी रहने के चलते ऐसा हुआ है. जानबूझकर टीम से मुस्लिम खिलाड़ियों का पत्ता काटा गया.

# Anti Muslim Team India

और इस पॉइंट को उठाने वाले लोग स्पेशली दो प्लेयर्स पर चर्चा कर रहे हैं. मोहम्मद शमी और मोहम्मद सिराज. साथ में कुछ लोग आवेश खान और उमरान मलिक को भी जोड़ ले रहे हैं. इन लोगों का मानना है कि T20 वर्ल्ड कप में चुने गए पेसर्स की लिस्ट में इन चारों का नाम होना चाहिए. क्यों होना चाहिए? वाला सवाल करेंगे तो अजब जवाब देखने को मिलेंगे.

कोई कहता है कि उमरान के पास पेस है, तो वो ऑस्ट्रेलिया में काफी काम आते. तो किसी ने तो मोहम्मद शमी की वकालत इसलिए कर दी क्यों वो रिवर्स स्विंग करा सकते हैं. आई मीन सीरियसली ब्रो. T20 में रिवर्स स्विंग. क्या कमाल की सोच है. सिराज और आवेश के साथ भी स्पीड वाली दलील दी गई. और पहली नज़र में देखेंगे तो ये बातें सही भी लगेंगी.

लेकिन इन तमाम सही बातों के पार कुछ बातें ऐसी हैं, जिनके चलते ये चारों और इनके जैसे और भी कई नाम बाहर बैठे हैं. क्रिकेट के हर फॉर्मेट में बोलर की कामयाबी में स्ट्राइक रेट को अहम माना जाता है. स्ट्राइक रेट बोले तो वह कितनी गेंदों पर विकेट निकालता है. और जब बात लिमिटेड ओवर्स की हो, तो इसमें इकॉनमी का भी रोल बढ़ जाता है.

ऐसे में हमने सोचा कि क्यों ना इन चारों का स्ट्राइक रेट और इकॉनमी चेक की जाए. और देखा जाए कि टीम में इनकी जगह बनती है या नहीं. तो चलिए, अब शुरू करते हैं मोहम्मद शमी से.

# मोहम्मद शमी

शमी सालों से इंडिया के प्रीमियर बोलर हैं. बीते T20 वर्ल्ड कप में खेले भी थे. हाल ही में गुजरात टाइटंस के साथ IPL खिताब भी जीता है. इनके पास पेस भी है और अनुभव भी. शमी शुरुआती ओवर्स में खतरनाक भी साबित हो सकते हैं. लेकिन समस्या ये है, कि हम अगर सारे शुरुआती ओवर्स वाले बोलर ही लेकर चले जाएंगे तो डेथ्स में कौन फेंकेगा?

क्योंकि शमी तो डेथ्स में बहुत अच्छे हैं नहीं. साल 2018 से अब तक की 57 पारियों में 49 विकेट लेने वाले शमी का स्ट्राइक रेट लगभग नौ का रहा है. जबकि उनकी इकॉनमी 10.32 की. यानी शमी डेथ्स में हर ओवर में 10 से ज्यादा रन देते हैं. जबकि विकेट लेने के लिए उन्हें लगभग नौ गेंदों की जरूरत होती है. और ये आंकड़े T20 के हैं. यानी इसमें IPL जैसी डोमेस्टिक लीग्स भी शामिल है.

अब अगर सिर्फ T20I की बात करें तो यहां उनका रिकॉर्ड थोड़ा बेहतर होता है. लेकिन ये इतना भी अच्छा नहीं है कि उन्हें सीधे वर्ल्ड कप की टीम में ले लिया जाए. T20I में शमी ने नौ पारियों में 9.05 की इकॉनमी से रन दिए हैं. जबकि उनका स्ट्राइक रेट 8.42 का रहा है. विकेट्स की बात करें तो इन पारियों में शमी को कुल सात विकेट मिले हैं.

# मोहम्मद सिराज

सिराज की बात करें तो उन्होंने T20 की 47 पारियों के डेथ ओवर्स में 10.38 की इकॉनमी से रन दिए हैं. जबकि डेथ्स में उनका स्ट्राइक रेट 15.47 का हो जाता है. इन पारियों में सिराज के नाम सिर्फ 23 विकेट रहे हैं. उन्होंने इन 47 पारियों में 49 चौके और 33 छक्के खाए हैं.

जबकि अगर इसे थोड़ा रिफाइन करके सिर्फ T20I देखें तो सिराज ने तीन पारियों में कुल दो विकेट लिए हैं. और इन विकेट्स के लिए उनका स्ट्राइक रेट 12 और इकॉनमी 11 की रही है.

# आवेश खान

डेथ्स में आवेश का हाल और खराब हो जाता है. डेथ्स में T20 की 40 पारियों में उनके नाम 17.66 की स्ट्राइक रेट और 10.50 की इकॉनमी से सिर्फ 18 विकेट्स हैं. यानी डेथ्स में आवेश से बोलिंग कराने का मतलब है सामने वाली टीम की हैल्प करना. वैसे अगर इन आंकड़ों को सिर्फ T20I में देखें तो यहां आवेश सात पारियों में एक भी विकेट नहीं ले पाए हैं.

इन पारियों में आवेश ने कुल 38 गेंदें फेंकी हैं. और इन गेंदों में उन्होंने 114 रन लुटाए हैं.

# उमरान मलिक

अब बचे उमरान मलिक. जिनके करियर का सैंपल साइज बहुत छोटा है. और इसे देखें तो सारे T20 मैच की आठ पारियों में उमरान के नाम चार विकेट हैं. उनका स्ट्राइक रेट 12 और इकॉनमी 10.62 की है. अब इसे सिर्फ T20I में देखें तो यहां दो पारियों में उमरान ने बिना कोई विकेट लिए 13.50 की इकॉनमी से रन दिए हैं.

तो ये हो गई उन चार लोगों की बात, जिन्हें टीम में शामिल ना करने पर इतना विवाद है. अब बात उन लोगों की कर लेते हैं. जो इस टीम में हैं. और जिन्हें टीम में शामिल करने पर इतना विवाद चल रहा है. इस लिस्ट में हम जसप्रीत बुमराह को नहीं जोड़ेंगे क्योंकि उन्हें तो सभी लोग दिग्गज मानते ही हैं. तो अब बात बाकियों की. और इसकी शुरुआत करेंगे भुवनेश्वर कुमार से.

# भुवनेश्वर कुमार

भुवी ने एशिया कप में दो बार 19वां ओवर फेंका. और दोनों ही बार उनको मार पड़ी. खूब मार पड़ी. और ये देखकर ही समझ आ गया कि ये बंदा डेथ्स के लिए नहीं बना. लेकिन ऐसा तो है नहीं, कि जो जिस काम के लिए बना हो उससे वही काम कराया जाए. देश के तमाम तेज फेंकने वालों को देख लीजिए, टीम में मौके ही नहीं मिल रहे.

ख़ैर भुवी पर लौटते हैं. भुवी ने डेथ्स की 86 पारियों में 48 विकेट्स लिए हैं. यह विकेट्स 9.69 की इकॉनमी और 14.33 से ज्यादा की स्ट्राइक रेट से आए. बात T20I की करें तो भुवी ने 38 इनिंग्स में कुल 24 विकेट लिए हैं. और यह विकेट 9.47 की इकॉनमी और 11.79 की स्ट्राइक रेट से आए हैं.

यानी डेथ्स के स्पेशलिस्ट ना माने गए भुवी से बेहतर सिर्फ शमी हैं. लेकिन भुवी अभी इंडिया के बेस्ट स्विंग बोलर हैं. और उन्हें पिच से थोड़ी भी मदद मिली तो वह लगातार चार ओवर्स फेंककर सामने वाली टीम का खेल खत्म कर सकते हैं. और वैसे भी डेथ्स में तो हमारे पास कई ऑप्शन हैं.

# हर्षल पटेल

अब नंबर टीम इंडिया के डेथ्स स्पेशलिस्ट हर्षल पटेल का. T20 की 49 पारियों में हर्षल के नाम 43 विकेट हैं. उन्होंने यह विकेट 9.85 की इकॉनमी और 10.32 की स्ट्राइक रेट से लिए हैं. जबकि बात T20I की करें तो यहां हर्षल ने 15 पारियों में 10 विकेट्स निकाले हैं. यह विकेट 11 की इकॉनमी और 12.7 की स्ट्राइक रेट से आए हैं.

यानी हर्षल के आंकड़े बहुत अच्छे नहीं हैं. लेकिन हमें ये ध्यान रखना होगा कि हर्षल अपने ज्यादातर ओवर डेथ्स में ही फेंकते हैं. यानी उस वक्त जब बल्लेबाज का इकलौता लक्ष्य गेंद को कूटना होता है. ऐसे में उनकी इकॉनमी और स्ट्राइक रेट इतने बुरे नहीं माने जा सकते.

# अर्शदीप सिंह

अर्शदीप सिंह. टीम इंडिया के नए सेंसेशन. अर्शदीप डेथ्स में अपनी सटीक यॉर्कर के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने T20 की कुल 43 पारियों में 33 विकेट लिए हैं. यह विकेट 8.06 की इकॉनमी और 11.42 के स्ट्राइक रेट से आए हैं. जबकि T20I की बात करें तो उन्होंने नौ पारियों में 10 विकेट लिए हैं. यह विकेट्स 6.70 की इकॉनमी और 8.5 की स्ट्राइक रेट से आए हैं.

इन तमाम आंकड़ों को देखने के बाद एक चीज तो साफ है- सिराज, आवेश और उमरान वर्ल्ड कप टीम के आसपास आना भी डिज़र्व नहीं करते. अब बचे शमी. साल 2018 से आंकड़े देखेंगे तो शमी निश्चित तौर पर वर्ल्ड कप की टीम में होना डिजर्व करते थे. लेकिन समस्या ये है कि बीते वर्ल्ड कप में शमी का प्रदर्शन उतना अच्छा नहीं था. इकॉनमी, स्ट्राइक रेट और ऐवरेज के हिसाब से वह तीन या इससे ज्यादा इनिंग्स खेले भारतीयों में सबसे खराब थे.

अब इतने आंकड़ों के बाद आप खुद तय करिए कि इन चारों को किसी एजेंडे के तहत बाहर किया गया है. या फिर इनका प्रदर्शन इस लायक नहीं था कि इन लोगों को टीम इंडिया में शामिल किया जाए.

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