ऑस्ट्रेलिया के पूर्व ऑलराउंडर एंड्रयू सायमंड्स की पहचान हमेशा से ही एक जुझारू खिलाड़ी के रूप में रही. बल्लेबाजी, गेंदबाजी या फील्डिंग खेल के हर डिपार्टमेंट में वो अपनी छाप छोड़ने में सफल रहे. उन्हें मैदान पर नजरअंदाज करना मुश्किल रहता था. हालांकि, विवादों से भी उनका गहरा नाता रहा. इसी वजह से सायमंड्स का अंतरराष्ट्रीय करियर लंबा नहीं चला. लेकिन वो जितने साल खेले, विरोधी खेमे में खलबली मचाकर रखी.
आज ही के दिन 1995 में उन्होंने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में ऐसी पारी खेली थी कि दुनिया देखकर दंग रह गई थी. सायमंड्स ने महज 20 बरस की उम्र में ग्लूस्टरशर की ओर से खेलते हुए 16 छक्कों की मदद से नाबाद 254 रन ठोक डाले थे. तब यह एक रिकॉर्ड था.
1995 में काउंटी चैम्पियनशिप के एक मैच में ग्लूस्टरशर और ग्लेमोर्गन की टीमें आमने-सामनें थीं. सायमंड्स ग्लूस्टशर की ओर से खेल रहे थे. मैच में ग्लेमोर्गन के कप्तान ह्यूज मॉरिस ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी की. उनकी टीम ने पहली पारी में 100 ओवर से ज्यादा खेलते हुए 334 रन बनाए. खुद कप्तान मॉरिस ने अर्धशतक जड़ा और निचले क्रम में आकर गेंदबाज डेरेन थॉमस ने भी 8 छक्कों की बदौलत 78 रन जोड़े.
सायमंड्स छठे नंबर पर बल्लेबाजी के लिए उतरे थे
अब बारी ग्लूस्टरशर की थी. टीम को 11 रन के स्कोर पर ही पहला झटका लग गया. मैट विंडो बिना खाता खोले पवेलियन लौट गए. इसके बाद ग्लूस्टरशर की पारी लड़खड़ा गई. 79 रन के अंदर 5 विकेट गिर गए. छठे नंबर पर 20 साल के सायमंड्स खेलने उतरे. उन्होंने आते ही बल्ले से तूफान मचा दिया.
सायमंड्स ने 254 में से 184 रन सिर्फ बाउंड्री से हासिल किए
दूसरे दिन का खेल जब खत्म हुआ तो सायमंड्स 197 रन पर नाबाद लौटे. उनके साथ भारतीय तेज गेंदबाज जवागल श्रीनाथ भी 33 रन पर नाबाद थे. 79 रन पर 5 विकेट गंवाने ग्लूस्टरशर की टीम का स्कोर 373/7 हो गया था. मैच के तीसरे दिन सायमंड्स ने अपना दोहरा शतक पूरा किया. ग्लूस्टरशर की पहली पारी 461 रन पर खत्म हुई. लेकिन सायमंड्स 206 गेंद में 254 रन बनाकर नाबाद रहे. उन्होंने 16 छक्के और 22 चौके ठोके. यानी 184 रन सिर्फ बाउंड्री से हासिल किए. उन्होंने 4 घंटे से ज्यादा बल्लेबाजी की और 123 से ज्यादा के स्ट्राइक रेट से रन बनाए.
दूसरी पारी में भी सायमंड्स ने अर्धशतक लगाया था
इसके बाद ग्लेमोर्गन ने दूसरी पारी में 471 रन बनाए. ग्लूस्टरशर को मैच के चौथे और आखिरी दिन जीत के लिए 345 रन का टारगेट मिला. दूसरी पारी में भी सायमंड्स ने 65 गेंद में 76 रन ठोक डाले. इस दौरान उन्होंने 8 चौके और 4 छक्के भी जड़े. यानी 56 रन चौके-छक्कों से ही हासिल कर लिए. हालांकि, निचले क्रम के बल्लेबाज इस बार उनका साथ नहीं दे पाए और टीम 9 विकेट के नुकसान पर 293 रन ही बना सकी और मुकाबला ड्रॉ रहा. लेकिन 20 साल के सायमंड्स ने अपनी बल्लेबाजी से सबको हैरत में डाल दिया.